Wednesday, August 1, 2018

सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों की चल रही समान काम समान वेतन की सुनवाई का साराश

दिनांक 01.08.18 को माननीय उच्चतम न्यायालय में हुई *सुनवाई का सारांश* यह है कि आज भी बिहार सरकार के तरफ से अपनी दलीलों को प्रस्तुत किया जा रहा था। जिसमें एक बार पुनः *डाइंग कैडर एवं नियोजित कैडर को योग्यता के आधार पर, अनुभव के आधार पर सरकार अलग अलग बता रही थी।* जिसे संविधान विशेषज्ञ वरिष्ठ अधिवक्ता *डॉ राजीव धवन  ,एन के मोदी, कपिल सिब्बल* के द्वारा जोरदार विरोध किया गया। जिस क्रम में *राजीव धवन जी सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश चंद्र द्विवेदी जी को फटकार लगाते हुए माननीय न्यायाधीशों को इंगित करते हुए बोले की यदि आपलोग सेवानिवृत्त हो जाएंगे तो क्या आपलोगों को मृत माना जाएगा?*
क्या आपके सेवानिवृत्त होने के बाद आपकी जगह नए न्यायाधीश को आपके बराबर इसी न्यायालय में काम करने का *वेतन कम हो जाना चाहिए?*
तत्पश्चात बिहार सरकार के विद्वान अधिवक्ता *शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009* पर लगभग एक घंटा बहस किए। जिसमें *धारा 23 के 1,2 एवं 3 पर विस्तार से चर्चा किए।* जिसके 23 की उप धारा *3* में *विहित किए गए वेतन, भत्ते देने की बात कही गई है।*
यहीं सरकार *अचानक* से फंस जाती है जब माननीय न्यायाधीश *U. U. Lalit साहब ने बच्चों के मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2010 का नियम 20 एवं तत्समय उप धाराओं की* तरफ सरकारी अधिवक्ता का ध्यान आकृष्ट कराए एवं उसे पढने के लिए बोले जिसमें उप नियम की दूसरी पंक्ति पढते ही राकेश चंद्र द्विवेदी जी की आवाज धीमी हो गई जहां स्पष्ट लिखा है कि शिक्षकों को कोई भी अर्थात केंद्र सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय निकाय नियुक्त करे इनके लिए प्रोफेशनल एवं स्थायी संवर्ग निर्माण की नियमावली बनाई जाएगी।
आगे बढते हुए जब उप नियम 3 को पढे जहाँ भारत सरकार ने लिखा है कि शिक्षकों को वेतनमान, भत्ते, पेंशन, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि इत्यादि सभी लाभ एक बराबर शैक्षणिक योग्यता, कार्य एवं अनुभव के आधार पर एक बराबर दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इस बिंदु पर माननीय न्यायाधीश महोदय ने जब पूछा की कोई भी नियुक्त करे एक समान काम के लिए लाभ भी समान देना है तो इस पर बिहार सरकार के अधिवक्ता गोलमाल जबाव देते नजर आए। जिसे माननीय न्यायाधीशों ने अपने कार्य पंजी में नोट किया।
साथियों इसी बिंदु की चर्चा मैं विगत छः / सात वर्षों से करते आ रहा हूँ कि शिक्षा अधिकार अधिनियम में एक बराबर वेतन देने की बातें स्पष्ट कर दी गई हैं। तब कुछ लोग खासकर कैमूर जिनको आज भी *शिक्षा अधिकार अधिनियम* की कोई जानकारी नहीं है उस वक्त से इस बिंदु का विरोध करते आ रहे हैं। मुझे आज भी पूर्णतः विश्वास है कि यही बिंदु हमलोगों को सभी सुविधाएं दिलाएगा।
बहस के दौरान आज भी शिक्षकों का वेतन *चतुर्थवर्गीय कर्मचारी* से कम होने की बातें माननीय *न्यायाधीश उदय उमेश ललित जी* द्वारा पूछा गया एवं उसे नोट किया गया। सरकार ने कहा कि इन शिक्षकों को समान *वेतनमान* दे देने से विद्यालय के आधारभूत संरचनाओं सहित सडक, स्वास्थ्य, कृषि जैसे कार्यों का विकास अवरुद्ध हो जाएगा।

*निष्कर्षतः विगत दिनों की तरह सरकार आज भी वित्तीय संकट का बहाना बनाती रही। दिनांक 02.08.18 को पुनः सुनवाई जारी रहेगी। परंतु उक्त दिवस को भी कोर्ट नंबर ग्यारह एक बजे तक ही कार्यरत है।जबकि बिहार सरकार की बहस अभी भी बाकी है तत्पश्चात भारत सरकार के तरफ से महाधिवक्ता के वेणुगोपाल जी अपना पक्ष रखेंगे। तब हम शिक्षकों का पक्ष रखने के बाद पुनः सरकार उसका जबाव देगी। *इसलिए यह सुनवाई अगले सप्ताह मंगलवार -  बुधवार तक चल सकती है।* क्योंकि माननीय उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार एवं सोमवार को नए दायर याचिकाओं पर सुनवाई होती है।

*विशेष जानकारी :---* पेड न्यूज वालों के *मंत्री अधिवक्ता* एक बार फिर से अपने *चिर परिचित शैली* में कोर्ट में अपना बहुमूल्य *दो मिनट महज दो मिनट* का समय देकर सींग की तरह पुरी सुनवाई तक गैर हाजिर रहे। *इसका गवाह आका सहित पूरा कोर्ट रूम है।*

आप सभी साथियों का जो *साथ, सहयोग एवं समर्थन उपेन्द्र राय जी एवं उनकी टीम को मिल रहा है* इसके लिए हम सभी उन शिक्षकों के आभार व्यक्त करते हैं।
            *

0 comments: