Monday, July 30, 2018

समान काम समान वेतन" नियोजित शिक्षकों का मौलिक अधिकार है !


माननीय पटना उच्च न्यायालय ,पटना का ऐतिहासिक फैसला माननीय सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली में 31जुलाई2018 को अवश्य लागू होगा ।नियोजित शिक्षकों के अच्छे दिन आ चुके हैं।सभी नियोजित शिक्षकों को "समान काम के बदले समान वेतन "अवश्य मिलेगा।समान काम के बदले समान वेतन देना सरकार की संवैधानिक बाध्यता है।बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार को वेतन विषमता दूर करना ही होगा।गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विकास के लिए शिक्षकों का खुशहाल होना जरूरी है।अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए शिक्षकों का वेतन अच्छी होनी चाहिए।सभी जन कल्याणकारी राज्यों का यह कर्तव्य है कि शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन मिले।तभी राज्य के सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकती है ,अन्यथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करना बेईमानी होगी।
"जब तक शिक्षक भूखा रहेगा,ज्ञान का सागर सूखा रहेगा ".राज्य के सभी बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था करना, राज्य का पुनीत कर्तव्य है।इसके लिए राज्य को जीडीपी का  6% शिक्षा पर खर्च करना चाहिए ।
वर्तमान में जीडीपी का लगभग 4% खर्च ही भारत में शिक्षा पर किया जा रहा है।जो बहुत कम है।
शिक्षा किसी भी देश का सबसे बड़ा संसाधन होता है। .बच्चों के सर्वांगीण विकास के माध्यम से ही कोई भी राष्ट्र समुन्नत राष्ट्र हो सकता है।शिक्षा मानव का सबसे बड़ा आभूषण है।
शिक्षा पर निवेश करना सबसे महत्वपूर्ण निवेश है।
"समान काम समान वेतन" की लड़ाई में बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ(मूल)S000252 का  योगदान सर्वोपरि रहा है।हमारे पूरन कुमार, प्रदेश अध्यक्ष और केशव कुमार, प्रदेश महासचिव शिक्षक हित में लगातार प्रयत्नशील रहे हैं।उनके बल पर अनेक सुविधाओं की प्राप्ति भी हुई है।जो हम सभी शिक्षक भलीभांति जानते हैं।

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