Monday, July 30, 2018

नियोजित शिक्षकों को स्थाई शिक्षको के बराबर वेतनमान क्यों नहीं?

नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम पर समान वेतन पर_ _उच्चतम न्यायालय का  अंतिम निर्णय_ _आगामी 31 जुलाई को आ_ _सकता है|राज्य के नियोजित शिक्षकों के पक्ष में पटना उच्चन्यालय के निर्णय के विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर APEX कोर्ट से यह आग्रह किया है की वह संसाधनों की कमी के कारण इन नियोजित शिक्षकों को राज्य के स्थाई शिक्षकों की तरह वेतनमान देने में समर्थ नहीं है |चूकि शिक्षा भारत के संविधान में समवर्ती सूची में शामिल है इसलिए कोर्ट नें भारत सरकार को भी इस मामले में पार्टी बना दिया है |यहाँ यह उल्लेखनीय है की क्या किसी लोक कल्याणकारी सरकार को एक हीं_ _स्थान और एक ही संस्थान में एक ही  तरह के काम करने वाले दो कर्मियों के वेतनमान एवं सेवा शर्तों को अलग –अलग रखने का आधिकार है ??_ 
_भारत के संविधान की धारा 14 में यह उल्लेखित है कि राज्य_ _जाति,धर्म,क्षेत्र,लिंग आदि के आधार पर नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता यानि धारा 14 के अनुसार देश के नागरिको को कानून के मामले में समानता का अधिकार प्राप्त है| ऐसी  परिस्तिथि में आखिर कैसे  सरकार नियोजित शिक्षकों को अपने सहकर्मियों से बहुत हीं कम वेतन दे रही है ,यह चिंतनीय एवं सोचनीय विषय है |_
                        _जहाँ तक बिहार के नियोजित शिक्षकों का मामला है वे वही योग्यता एवं अहर्ता रखते हैं जो की उनके पूर्व के सहयोगियों के पास है |राज्य सरकार ने प्राथमिक से लेकर के उच्चतर माध्यमिक शिक्षण संस्थाओं  में शिक्षक नियुक्ति के लिए पूर्व से चली आ रही व्यवस्था वो समाप्त कर त्रि-स्तरीय  पंचायती राज एवं नगर_ _निकायों की संस्थाओं को सौंप दिया है |यहाँ यह भी उल्लेखनीय है की राज्य के समस्त संसाधन यानि टैक्स,केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्राप्त कर सरकारी खजाने में जमा किये जाते हैं और पंचायतों तथा शहरी निकायों को अपने कार्य संचालन के लिए राज्य सरकार के तरफ अनुदान के लिए  टकटकी लगाये देखना पड़ता है|यहाँ सरकार का उद्देश्य इन नियोजन इकाइयों में कार्य कर रहे कर्मियों को उनके पूर्ण वेतन प्राप्त करने के  आधिकार से वंचित रखने का है| ऐसी परिस्थिति में उच्चतम न्यायालय सामान काम के लिए सामान वेतन के लिए राज्य सरकार के अपील को ख़ारिज कर शिक्षकों के हक़ में फैसला देता है तो यह लोकतंत्र की बड़ी जीत होगी |भारत के संविधान में APEX कोर्ट को नागरिकों के मौलिक आधिकारों की रक्षा तथा कानूनों को व्याख्यायित करने का अधिकार है |अब तक भारत का उच्चतम न्यायालय अधिकांश मामलों में ‘राज्य बनाम नागरिक‘ वादों में नागरिकों के पक्ष में फैसला देता रहा है |यही  कारण है की बिहार के नियोजित शिक्षक उच्चतम न्यायालय की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं |अगर निर्णय शिक्षकों के पक्ष में आता है तो यह ऐतिहासिक होगा और इससे चार लाख शिक्षकों और उनके चालीस लाख  आश्रितों के चेहरे खिल उठेंगे |यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव तथा 2020 के बिहार विधान सभा के चुनाव पर भी व्यापक असर डालेगा|_
       _मैं आशा करता हूँ की यह फैसला सिर्फ और सिर्फ नियोजित शिक्षकों के पक्ष में ही होगा |

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