Friday, August 3, 2018

क्या गुणवत्तापुर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों को समान वेतन देना अवश्यक नहीं है, सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई हुई

आर्थिक कमी के कारण आजादी के 70 वर्षों बाद भी शिक्षा आमजन की पहुंच से दूर, राज्य सरकार  उसे जन-जन तक पहुंचाने का कर रही प्रयास : सरकारी वकील
आम जन तक शिक्षा का प्रसार नहीं होने का कारण केवल वित्तीय कमी ही नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के साथ ही अन्य कारण भी :सुप्रीम कोर्ट
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 आज  की सुनवाई का सारांश यही है कि राज्य सरकार के अधिवक्ता आज पूरे सुनवाई के दौरान बस यही बतलाने में लगे रहे कि वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य शिक्षा का हर व्यक्ति तक प्रसार करना है । अदालत ने इस पर टिप्पणी भी की  कि प्रसार से ही हो जाएगा या इसमें गुणवत्ता भी होनी चाहिए ? तो अधिवक्ता ने यह कहा कि गुणवत्ता भी हमारा उद्देश्य है लेकिन हम इसको जन-जन तक प्रसारित करना चाहते हैं और यदि आर्थिक अधिभार अतिरिक्त बहन करना पड़ा तो निश्चित रूप से प्रभावित होगा । सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि केंद्र सरकार 60 % अनुदान देती है और उसमें 40% की हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती है। पहले हिस्सेदारी 75:25 की थी जो आज 60:40 का रह गया है।
             सरकारी अधिवक्ता बार बार इस बात को अदालत में दुहराते रहे कि आजादी के 70 वर्षों बाद भी शिक्षा  हर व्यक्ति की पहुंच से बाहर है और आज इसके प्रसार की आवश्यकता है। इस पर अदालत ने एक बार टिप्पणी भी की क्या बार-बार बीते दिनों की याद दिला रहे हैं कि उस समय शिक्षा का प्रसार नहीं हुआ। इसमें आप असफल हैं , इसका एक मात्र कारण वित्तीय कमी ही नहीं है बल्कि इसका और भी कारण है जिसमें राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव, बेहतर योजनाओं की कमी व अन्य कारण भी हैं । इसलिए केवल पैसे की कमी का बहाना बनाना उचित नहीं होगा । इस पर सरकार के वकील ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम को पढ़कर अदालत को सुनाया । इसके साथ ही लॉ कमीशन, पार्लियामेंट्री कमेटी आदि के सुझाव और निर्णय का उल्लेख किया और दिनभर नियमावली के माध्यम से अदालत को गुमराह करने की असफल कोशिश की । आज दिनभर यही एक ही बात दोहराते रह गए।  अभी राज्य  सरकार की ओर से श्याम दीवान, मुकुल रोहतगी, गोपाल सुब्रमण्यम आदि बोलेंगे । उसके बाद भारत सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल भी अपना पक्ष रखेंगे। वह आज भी कोर्ट में मौजूद थे लेकिन उन्हें बोलने का समय नहीं मिल सका। सरकार का पक्ष समाप्त होने के बाद ही हम शिक्षकों के अधिवक्ताओं की बारी आएगी। तब हमारे अधिवक्ता सरकारी वकील द्वारा दी गई थोथदलिलों की धज्जियां उड़ायेंगे। हम पूरी तैयारी के साथ नेतृत्वकर्ता जमे हैं । पूरी तैयारी के साथ हैं और सरकारी वकील के लिए संवैधानिक प्रावधानों, पूर्व के फैसलों एवं पर्याप्त तर्कों के साथ पूरी तैयारी में हैं । आप सभी चट्टानी एकता बनाए रखें। एक दूसरे को सहयोग प्रदान करें । आप सब के सहयोग से ही हम इस जंग को आसानी से जीत सकेंगे । फैसला आपके पक्ष में होगा जिसे कोई रोक नहीं सकता है , भले ही कुछ समय लगे। भले ही हमें परेशानी हो लेकिन इसका परिणाम सुखद होगा ,ऐसा मेरा विश्वास है ।

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