Saturday, August 4, 2018

सुप्रीम कोर्ट में समान काम समान वेतन का मामला और विभिन्न सरकारों की शिक्षक नियोजन प्रक्रिया

सरकार के नीचता का कोई पैमाना नहीं हो सकता यह बात सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दिए सप्लिमेंट्री एफिडेविट से साफ हो जाती है।।।।
जरा गौर करें
◆ प्राइमरी स्कूल में सरकार ने 1971 से शिक्षकों को नियमित किया,उसके बाद जितने भी आज जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान और प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय वो पहले मैट्रिक के बाद BTC ( बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) या बेसिक ट्रेंड ट्रेनिंग कराने के लिए थे और उससे पास होने वाले शिक्षक की लिस्ट तैयार होती थी फिर बाद में शिक्षकों के रिक्त हुए पद पर बहाली की जाती थी। कोई एग्जाम कंडक्ट नहीं होता था।।
◆केवल 1994 और 1999 में लगभग 25000 शिक्षक ही BPSC के द्वारा बहाल हुए वो भी इंटर और अनट्रेंड योग्यता के साथ।!!!! सवाल यह है कि अलग अलग सरकार ने अपने हिसाब से शिक्षक बहाली का अलग अलग पैमाना चुना है फिर एक पैमाना सर्वश्रेष्ठ कैसे हो गया????
◆सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या केवल जो BPSC से शिक्षक बने हैं केवल उन्हें ही सरकार ने नियमित बनाया है, ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि BPSC से पहले DIET और PTEC से पढ़ कर निकलने वाले भी शिक्षक भी नियमित शिक्षक ही हैं।
◆ 29 राज्यों और देश को शामिल करते हुए एक बात कहनी है कि 2010 RTE लागू होने के बाद और लागू होने के पहले कहाँ कहाँ राज्य स्तरीय सर्विस कमीशन और UPSC ने शिक्षकों के लिए एग्जाम कंडक्ट किया था या है और उसी आधार पर बहाली हुई हो??????
◆ पंचायती राज संस्थाएँ , योग्यता ये सारी बातें उलझाऊ बिंदु है बस और कुछ नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब राज्य के अस्थाई कर्मचारियों को SWSP देते हुए कहा था कि केवल Nature of job and Responsibility of job एक जैसा होना चाहिए।।।।।
◆ कठिन परीक्षा क्या होता है शायद यह सरकार ही बता सकती है।। नेट की परीक्षा पहले UGC लेती थी फिर CBSE को दिया गया इसमें कौन कठिन परीक्षा लेता है या था अब तो हर समय यही बहस होगी जैसे BSEB ने TET लिया या BPSC ने जो शिक्षक के लिए परीक्षा आयोजित की , आप लोग बतायें भैया कौन कठिन था????
◆घबराएँ बिल्कुल नहीं ये सारी दलीलें सरकार की है ,सरकार की बात सुन के ही थोड़े न डिसीजन ही जाना है जैसे हाई कोर्ट में नहीं हुआ........
◆ याद करें पटना हाई कोर्ट में जो दलीलें दी गई थी और अब की दलीलों में कितना फर्क है सरकार की हार होनी तय है।।।।।।
◆ सुप्रीम कोर्ट केवल संविधान के मौलिक अधिकार ( समानता) और संवैधानिक अधिकार( राज्यों को अधिकार है कि अपने वित्तिय संसाधनों को देखते हुए कर्मचारियों का वेतन तय कर सकती है) के बीच जंग होगी।।।।।

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