अभी - अभी केंद्र और राज्य सरकार ने एक संयुक्त अतरिक्त Affidavit दाखिल किया है। इस Affidavit में भी उन्हीं सब बातों को दुहराया गया है जो पूर्व में उच्च न्यायालय पटना में कहा गया था। यहां सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय को यह समझाना चाह रही है कि नियोजित शिक्षकों का Appointment व नियमित शिक्षकों के Appointment में बहुत बड़ा अंतर है। इनकी बहाली 9000 विभिन्न नियोजन ईकाई के द्वारा मेधा अंक के आधार पर की गई है जबकि नियमित शिक्षकों की बहाली Open Difficult Competitive Examination के माध्यम से की गई है। ऐसे में में दोनों कैडर की तुलना गैर वाजिब है। Affidavit में यह भी चर्चा की गई है कि TET /STET परीक्षा सिर्फ एक पात्रता मात्र है। TET /STET उतीर्ण शिक्षक NCTE & RTE के मानक को तो पूरा करते लेकिन इन लोगों की बहाली भी BPSC के तर्ज पर कोई परीक्षा लेकर नहीं की गई है लिहाजा ये शिक्षक भी उनलोगों से अलग नहीं और नियमित शिक्षकों के दायरे से बाहर है। नियोजन के समय इनलोगों ने लिखित रूप से नियोजन के शर्तों पर सहमति जताई थी और फिक्स सैलरी पर काम करने को राजी हुए थे।सरकार का यह भी कहना है कि यही बहाली अगर BPSC के माध्यम से की गई होती तो बहुत सारे योग्य अभ्यर्थी भी इस प्रक्रिया के माध्यम से आए होते। इनके नियोजन के लिए लचीला प्रक्रिया अपनाया गया था। इसलिए नियमित शिक्षकों से इनकी तुलना नहीं की जा सकती है।
साथियों मेरे ख्याल से केन्द्र व राज्य सरकार का यह संयुक्त अतिरिक्त Affidavit बहुत ही कमजोर और हमें जीत की ओर अग्रसर करने वाला है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 26 अक्टूबर 2016 के अपने ऐतिहासिक न्याय निर्णय में यह बात स्पष्ट रुप से कहा है कि सिर्फ कम वेतन देने के लिए कोई भी सरकार कृत्रिम मानक नहीं बना सकती है। एक ही स्थान पर काम करने वाले कर्मी का Nature of work, Duration of Work, accountability of Work यदि Same है तो सिर्फ Procedure Of Appointment के आधार पर उसे कम वेतन नहीं दिया जा सकता है। यह संविधान के समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए साथियों हमें निश्चिंत रहने की आवश्यकता है। जिस प्रकार उच्च न्यायालय पटना ने बिहार सरकार के थोथी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया उसी प्रकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय से भी इन्हें राहत नहीं मिलने वाली है। नियोजित शिक्षकों की जीत सुनिश्चित है।
साथियों मेरे ख्याल से केन्द्र व राज्य सरकार का यह संयुक्त अतिरिक्त Affidavit बहुत ही कमजोर और हमें जीत की ओर अग्रसर करने वाला है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 26 अक्टूबर 2016 के अपने ऐतिहासिक न्याय निर्णय में यह बात स्पष्ट रुप से कहा है कि सिर्फ कम वेतन देने के लिए कोई भी सरकार कृत्रिम मानक नहीं बना सकती है। एक ही स्थान पर काम करने वाले कर्मी का Nature of work, Duration of Work, accountability of Work यदि Same है तो सिर्फ Procedure Of Appointment के आधार पर उसे कम वेतन नहीं दिया जा सकता है। यह संविधान के समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए साथियों हमें निश्चिंत रहने की आवश्यकता है। जिस प्रकार उच्च न्यायालय पटना ने बिहार सरकार के थोथी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया उसी प्रकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय से भी इन्हें राहत नहीं मिलने वाली है। नियोजित शिक्षकों की जीत सुनिश्चित है।
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